तुम दूर हुए तो अहसास हुआ
के कई घंटे होते हैं दिन में।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम दूर हुए तो अहसास हुआ
के कई घंटे होते हैं दिन में।
कश्ती भी ना बदली,
दरिया भी ना बदला,
हम डूबने वालो का जज्बा भी ना बदला,
हे जोक -ए -सफर ऐसा ऐक उम्र से हमने,
मंजिल भी ना पाई और रास्ता भी ना बदला
उनके भीगे लबों की नरमी जैसी, कोई शराब जहां मे ऐसी है भी क्या साकी……..
क्यों भरोसा करता है गैरो पर, जबकि तुम्हें चलना है खुद के पैरो पर…….
“मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था”..!!
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“दिल के टुकडे हो गये और लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था”..!!
राख बेशक हूँ
मगर मुझ में हरकत है अभी भी ….
जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको…..
कितनी मासूम होती हैं ये दिल की धड़कनें….
कोई सुने या ना सुने, ये खामोश नहीं रेहती !!!
ग़म खाये जा रहा दिल को इस ही एक बात का,,,,
ढल गया ह दिन अब बोझ उठाना ह रात का ।
जब तक शीशा था , लोगो ने बहुत तोडा।
जिस दिन पत्थर बना , लोगो ने देवता मान लिया॥
हमें तो जो भी मिला वो ख़ुदा बन के ही मिला,
कहाँ हैं वो जिन्हें कोई ख़ुदा नहीं मिलता.