ऐ जिंदगी, तू सच में बेहद खूबसूरत है…फिर भी…
तू अपनों के बिना अच्छी नहीं लगती…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ जिंदगी, तू सच में बेहद खूबसूरत है…फिर भी…
तू अपनों के बिना अच्छी नहीं लगती…!!!
ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ लेकिन
नमी आखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो
बडे़ पत्थर दिल होते हैं ये शायर भी,
वरना अपनी ही आह पर वाह सुनना सबके बस की बात नही !!
मैने इक माला की तरह तुम को अपने आप में पिरोया है,
याद रखना, टूटे अगर हम, तो बिखर तुम भी जाओगे..
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया
कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया
तेरा होना ही क्या से क्या कर देता है बेजान छत-ओ-दीवार को घर कर देता है
ये जो डूबी हैं मेरी आँखें, अश्कों के दरिया में…..!!
ये मिट्टी के पुतलों पर, भरोसे की सजा है………!!
काश की कोई हमारा भी वफादार यार होता
सीना तान के चलते बेवफाओ की गलियों में|
ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में ….
ज़िम्मेदारियों के शोर में, कुछ सुनाई नहीं देता..
सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये आंसू
दिल का आलम तो अभी आपने देखा ही कहा है !!!!