तुझे ख्वाब मे

तेरी तलब की हद ने ऐसा जुनून बख्शा हैं, हम नींद से उठ गए…. तुझे ख्वाब मे तन्हा देख कर….!!!

तुम याद आए

मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी , बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया.

एक टुकड़ा आइना

खुद को भूल न जाऊं भटक न जाऊं कहीं… एक टुकड़ा आइना जेब में रखती हूँ अक्सर…!!!!!

नजरें भी मुझपर थीं

मुझसे मत पूँछों मेरे महबूब की सादगी का अन्दाज, नजरें भी मुझपर थीं, नफरत भी मुझसे थी !!

कुछ चैन पड़ता है

तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है

जिन्हे जन्नत की परवाह

जन्नत की तलाश तो उन्हें होती है…..जिन्हे जन्नत की परवाह होती है…..”मेरी जन्नत तो तुमसे शुरू और तुम्ही पर खत्म होती है….!!

इश्क़ ऐसा करो की

इश्क़ ऐसा करो की धड़कन मे बस जाए, साँस भी लो तो खुश्बू उसी की आए, प्यार का नशा आँखों पे छा जाए, बात कुछ भी ना हो पर नाम उसी का आए !

दावत पर बुलाकर !!

धोखे से जहर दे दूँ ,. अपनी सभी ख्वाहिशों को दावत पर बुलाकर !!

क्या मालूम था

मिलता ही नही तुम्हारे जैसा कोई और इस शहर मै हमे.. क्या मालूम था कि तुम एक हो और वो भी किसी और के..

हँस के टाल दूँ

ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ लेकिन नमी आखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो

Exit mobile version