शिकवा करे तो भी किससे करे ,
ये दर्द भी मेरा और देने वाला भी मेरा !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शिकवा करे तो भी किससे करे ,
ये दर्द भी मेरा और देने वाला भी मेरा !!
एक तरफा ही सही…..प्यार तो प्यार हैं…,
उसे हो ना हो…. लेकिन मुझे बेशुमार हैं।
कुछ खास नही बस इतनी सी है मुहब्बत मेरी,
हर रात का आखरी खयाल और हर सुबह की पहली सोच हो तुम |
मालूम है अब भी प्यार करती है वो मुझसे..
वो थोड़ी सी जिद्दी है मगर बेवफा नहीं…!!
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
मुस्कुराओ… क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है…
और मुस्कुरा कर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।
अफ़सोस होता है उस पल जब
अपनी पसंद कोई ओर चुरा लेता है,
ख्वाब हम देखते है और
हक़ीक़त कोई और बना लेता है..
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से।
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
एक सच अपने ही अपनों को
अपना नहीं समझते|
जिँदगी का भी अजीब किस्सा है
अजनबी हाल पूछ रहे हैंऔर….
अपनो को खबर तक नहीं…!!!