यादों की मधुमक्खियां डंसती रहीं
वो गया जो छत्ते पे पत्थर मार कर|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यादों की मधुमक्खियां डंसती रहीं
वो गया जो छत्ते पे पत्थर मार कर|
कितना चालाक मेरा यार सितमगर निकला
उस ने तोहफे में घड़ी दी है मगर वक़्त नही..
समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें..
हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..
सुनो…तुम रुक ही जाओ ना मेरे पास, हमेशा के लिए;
यूँ रोज़ आने-जाने में साहब, वक़्त बहुत लगता है !!
दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया…
दुसरा दिजीए… ये तो टुटा हुआ है….!!
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की ।
कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कस्मे,
देखो तुम भी ज़िंदा हो और में भी…..!!
अजब तमाशा है मिट्टी से बने लोगो का ,
बेवफाई करो तो रोते हे अगर वफा करो तो रुलाते हे !
अगर हम सुधर गए तो उनका क्या होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है|
ज़िस्म छूने से मोहब्ब्त नही होती,
ये वो ज़ज़्बा है जिसे ईमान कहते हैं