मैंने अपने दिल से तेरा
रिश्ता पुछा, कम्बखत कहता है,
जितना मैं उसका हूँ, उतना तेरा भी नहीं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैंने अपने दिल से तेरा
रिश्ता पुछा, कम्बखत कहता है,
जितना मैं उसका हूँ, उतना तेरा भी नहीं..
कौन चाहता है खुद को
बदलना..
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है..
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ
में रहे.,.
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे.,,
साखों से टूट जाये वो पत्ते नहीं हैं हम.,,
आंधी से
कोई कह दे के औकात में रहे.,.,!!!
हर नज़र से उम्मीद मत कर
ऐ दिल! प्यार से देखना किसी की आदत भी होती है॥
दिललगी मै वक़्त-ए-तन्हाई
ऐसा भी आता है,
रात तो आसानी से गुजर जाती है, मगर अँधेरे नही जाते!!
मंजिले तो हासिल कर ही
लेगे, कभी किसी रोज,,,
ठोकरे कोई जहर तो नही, जो खाकर मर जाऐगे…..
पानी फेर दो इन पन्नो पर..
ताकि धुल
जाये स्याही..!
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन
करता है.. कभी कभी..!!!
कांच की गुडिया ताक में
कब तक सजाये रखेंगे,
आज नहीं तो कल टूटेगा,
जिसका नाम खिलौना है..!!
मैं पूछता रहा
और फ़िर..
इस तरह
मिली वो मुझे सालों के बाद ।
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद ।।
मैं पूछता रहा उस
से ख़तायें अपनी ।
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद ।।
मैं अपनी चाहतों का
हिस्सा
जो लेने बैठ जाऊं,
तो सिर्फ मेरा याद करना
भी ना लौटा सकोगे ।