आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे
ए दोस्त….
ज़मीं की गहराई बढ़ा…
अभी और नीचे गिरेंगे लोग
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे
ए दोस्त….
ज़मीं की गहराई बढ़ा…
अभी और नीचे गिरेंगे लोग
आधे से कुछ ज़्यादा है…
पूरे से कुछ कम,
कुछ जिन्दगी, कुछ ग़म,
कुछ इश्क, कुछ हम.
तेरे ख्याल में जब भी
बे-ख्याल होता हूँ…
कुछ देर के लिए ही सही
बे-मिसाल होता हूँ…!
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये……
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है !!
वो लोग जो तुझे ,
कभी कभी याद आते हैं …
हो सके तो उन में ,
मुझे भी शुमार कर लेना …
सारी उम्र गुज़री यूँ ही रिश्तों की तुरपाई में…..
मन के रिश्ते पक्के निकले,
बाक़ी उधड़ गए कच्ची सिलाई में ..
मुझसे मत पूछा कर ठिकाना मेरा,
तुझ में ही लापता हूँ कहीं….
अब भी चले आते हैं ख्यालों में वो,
रोज लगती है हाजरी उस गैर हाजिर की..
कतार में खड़े है खरीदने वाले,
शुक्र है मुस्कान नहीं बिकती..!!!
मुफ़्त में सिर्फ माँ -बाप का प्यार मिलता है,
उसके बाद हर रिश्ते की कीमत चुकानी पड़ती है …
खेल रहा हूँ इसी उम्मीद पे मुहब्बत की बाजी.!
कि एक दिन जीत लूँगा उन्हें, सब कुछ हार के अपना..!