जैसा दोगे वैसा ही पाओगे..
फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जैसा दोगे वैसा ही पाओगे..
फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!
उस मोड़ से शुरू करें
चलो फिर से जिंदगी
हर शय हो जहाँ नई सी
और हम हो अज़नबी
वो शक्स रोज देखता है डूबते हुये सूरज को
काश हम भी किसी शाम का मंजर होते
मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे
सनम का,
उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में।
पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
न समझ भूल गया हूँ तुझे ,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !!
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत !
सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!
कभी उदास बेठी हो तो बताना,
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए !!
एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….
क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..
वो भीग रही है बारिश मैं………..
और आग लगी है
पानी मैं……!
रुके तो चाँद जैसी हैँ…..
चले तो हवाओ जैसी हैँ…..
वो माँ ही हैँ…..
जो धुप मैँ भी छाँव जैसी हैँ….
झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।