सुनो तुम चाहो तो अपने हाथों से संवार देना
बाल बिखरा के भेजी है हमारी तस्वीर हमने|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुनो तुम चाहो तो अपने हाथों से संवार देना
बाल बिखरा के भेजी है हमारी तस्वीर हमने|
जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर
इस आप की ज़मीं से अलग आसमाँ से दूर|
मैंने कब उससे रिआयत की गुज़ारिश की थी
वो हर इक बात पे एहसान जताता क्यूँ है !
मेरे गुनाहों की सज़ा तुझे मिली है आज माना
अब तो ताउम्र मुझे, अपनी सज़ा का इंतज़ार होगा ।।
बर्फ़ डूब कर मर गयी शराब में,
होंठ लाश तलाश रहे हैं …..
क़ुर्बानी देनी ही है तो अपने ऐबों की दो..
इन मासूम जानवरों को मार कर जन्नत नसीब नहीं होगी..
मुझे लहज़े खफ़ा करते हैं तुम्हारे, लफ़्जों के तो ख़ैर आदी है हम….
लोग आँसुओं से भी पढ़ न ले उनका नाम ,
.
बस इसी कशमकश में हमने रोना छोड़ दिया..!!
अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता|
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!