तुझे रात भर ऐसे याद किया मैंने…
जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुझे रात भर ऐसे याद किया मैंने…
जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।
सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है …
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!
ये जरूरी तो नहीं कि उम्र भर प्यार के मेले हों
हो सकता है कभी हम तुम अकेले हों.
यार का ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में
लो आप अपने दम में सय्याद आ गया..
लिख कर बयां नही कर सकता
मैं हर गुफ़्तुगू,
कुछ था जो बस नज़रों से
नज़रों तक ही रहा..
जिंदा रहने पे तवज्जो ना कोई मिल पाई..
कत्ल होके मै,,,
एक शहर के अखबार में हूँ..
वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी….,
अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.
थे तो बहुत मेरे भी इस दुनियां में कहने को अपने,
पर जब से हुआ है इश्क हम लावारिस हो गए !!
मुझे कुबूल नहीं खुद ही दूसरा चेहरा,
ख़ुशी तो मुझ को भी अक्सर तलाश करती है…
कहाँ उलझा पड़ा है तू उन छोटी छोटी बातों में
चल कोई बड़ी बात से हम अब ये रिश्ता ख़त्म करते हैं