इश्क़ का कैदी

इश्क़ का कैदी बनने का अलग ही मज़ा है,
छुटने को दिल नहीं करता और उलझने में मज़ा आता है।।

लगने दो आज महफ़िल

लगने दो आज महफ़िल, चलो आज
शायरी की जुबां बहते हैं
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तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना
हाल-ए-दिल कहते हैं.|

लत एसी लगी है

लत एसी लगी है की तेरा नशा मुझसे छोड़ा नहीं जाता,
अब तो हकीमों का कहना है की एक बूंद इश्क भी जानलेवा होगा !!