कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू,
मर जाते हैं किसी पे लोग जीने के लिये।
Tag: प्यारी शायरी
अक्ल बारीक हुई
अक्ल बारीक हुई जाती है,
रूह तारीक हुई जाती है।
फासले इस कदर
फासले इस कदर आज है रिश्तों में,
जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में
एक ही चौखट पे
एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है
भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।
अगर मालूम होता
अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले,
और एक एक कर के डूब गए..
ये भी क्या सवाल हुआ
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए,
.दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
आँखों की दहलीज़ पे
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से…
घर तो आखिर घर होता है…
तुम रह लो या मैं रह लूँ….
कोशिश तो बहुत
कोशिश तो बहुत करता है तू की भूल जाए उसे.
मगर मुमकिन कहाँ है कि आग लगे और धुंवा ना हो..
चलो अच्छा हुआ
चलो अच्छा हुआ कि अब धुंध पड़ने लगी ..!!
दूर तक तकती थी निगाहें उसको …