आज फिर वो मुझ पर एक कर्ज चढ़ा गया..
वो गरीब कुछ न मिलने, पर भी दुआ दे गया ….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज फिर वो मुझ पर एक कर्ज चढ़ा गया..
वो गरीब कुछ न मिलने, पर भी दुआ दे गया ….
अच्छा दहेज न दे सका मैँ, बस इसीलिए ;
.
.
दुनिया के जितने ऐब थे,
मेरी बेटी मे आ गए….!!
#लाचारपिता
कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफिलों से,
तो हमें आवाज़ दे देना…हम आज भी अकेले रहते है ॥
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे, जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नजऱ अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता |
जरा सी जगह छोड देना अपनी नींदों में,
क्योकि….आज रात तेरे ख्वांबों मे हमारा बसेरा होगा…!!!
गजब है उनका हंस कर नज़रे झुका लेना,
पुछो तो कहते है….कुछ नही बस युँ ही…!!!
बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है,
शहर के आवारा गिद्धों का कुछ बिगाड नही सकता….
उसे अपने परियों के पंख ही कुतरने पड़ते है…!!!
बेवफा लोगो को हम से बेहतर कौन जानेगा..!
हम तो वो दीवाने हैं जिन्हे किसी की नफरत से भी प्यार था..!!
दोस्ती नज़रों से हो तो उसे कुदरत कहते हैं,
सितारों से हो तो उसे जन्नत कहते है,
हुसन से हो तो उसे महोब्बत कहते है,
और दोस्ती आप जैसे दोस्त से हो तो उसे किस्मत कहते है,