पसंद करने लगे हैं अब शायरी मेरी मतलब मुहब्बत सिर्फ मैंने ही नहीं की।
Tag: पारिवारिक शायरी
खुदा की बंदगी
खुदा की बंदगी शायद अधूरी रह गयी,तभी तेरे मेरे दरमियाँ ये दूरियाँ रह गयी|
यकीन नहीं होता
तुम्हारे लिये मिट जाने का इरादा था .. तुम ही मिटा दोगे….. यकीन नहीं होता
हम वो ही हैं
हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब…!!! तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते है…!!
माँ का चेहरा भी हसींन है
माँ का चेहरा भी हसींन है तस्बीह के दानो की तरहा……. मैं प्यार से देखता गया और इबादत होती गयी|
माँ बाप के अलावा
आपके माँ बाप के अलावा कोई भी शख्स आपका निःस्वार्थ भला नही चहता
माँ की इच्छा
माँ की इच्छा महीने बीत जाते हैं साल गुजर जाता है वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर मैं तेरी राह देखती हूँ। आँचल भीग जाता है मन खाली खाली रहता है तू कभी नहीं आता तेरा मनीआर्डर आता है। इस बार पैसे न भेज तू खुद आ जा बेटा मुझे अपने साथ अपने घर लेकर जा। तेरे… Continue reading माँ की इच्छा
जिस के होने से
जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ मेरे रब के बाद मैं बस मेरी माँ को जानता हूँ !!!
माँ के पैरों मे
रात भर जन्नत की सैर करते रहे हम, सुबह उठे तो देखा हमारा सर माँ के पैरों मे था…
चंद सिक्को की मजबूरी
चंद सिक्को की मजबूरी ही है जो खुद के बच्चो को भूखा छोड़ के एक माँ…. अपनी मालकिन के बच्चों को रोज खिलाने जाती है|