देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ,
तेरे हर मर्ज की दवा वही है …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ,
तेरे हर मर्ज की दवा वही है …
मोह्ब्बत तो हो चुकी बस,
अब तो सांस बाकी है दोस्त !!
अच्छा दोस्त जिंदगी को जन्नत बनाता है.
इसलिए मेरी कद्र किया करो
वर्ना फिर कहते फिरोगे बहती हवा सा था वो;
यार हमारा वो; कहाँ गया उसे ढूढों!
आँख बंद करके चलाना खंजर मुझपे, ऐ दोस्त;
कहीं मैं मुस्कुराया तो तुम पहले मर जाओगे..
खुद पे भरोसा है तो खुदा साथ है
अपनो पे भरोसा हे तो दुआ साथ है
जिदंगी से हारना मत ऐ दोस्त ज़माना हो ना हो
ये दोस्त तेरे साथ है….
आइना होती है ये जिंदगी
मेरे दोस्त…
तू मुस्कुरा,
वो भी मुस्कुरा देगी…!
खामोश चहरे पर
हजारो पहरे होते है,
हँसती आँखों में भी
जख्म गहरे होते है,
जिनसे अक्सर
रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही
रिश्ते ज्यादा गहरे होते है .
ये दोस्ती का बंधन भी
बडा अजीब है…
मिल जाए तो बातें लंबी….
बिछड जाए तो यादें लंबी….।
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम,
कहते है, “इस का कुछ बिगाड नहीं सकते हम!
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु,
अदा से करु या हया से करु,
तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है,
पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु…