दिल का अपनी
हद से बाहर हो
जाना,
शायद इसे ही
बे हद महोब्बत
कहते हे…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दिल का अपनी
हद से बाहर हो
जाना,
शायद इसे ही
बे हद महोब्बत
कहते हे…!!
मेरे लफ्जो से मत कर।
मेरे किरदार का फैसला ।।
तेरा वजूद मिट जायेगा ।
मेरी हकीकत ढूँढते ढँढुते !
वाकिफ तो रावण भी था, अपने अंजाम से…..
जिद तो अपने अंदाज से जीने कि थी……
तुझे क्या देखा,
खुद को भूल गए हम इस कदर..
कि अपने ही घर आये,
औरों से रास्ता पूछकर…!!
दिल को हल्का कर लेता हूँ लिख-लिख कर।
लोग समझते हैं मैं शायर हो गया हूँ।।
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !!
ये जलजले यूँ ही बेसबब नहीं आते..
ज़रूर ज़मीन के नीचे कोई दीवाना तड़पता होगा…
बादल हो या बियर का नशा… अचानक से छा ही जाता है…
प्यार हो या चेहरे पे पिंपल…सबकी नज़र मे आ ही जाता है..
दाँत का दर्द हो या गर्ल फ्रेंड की शादी, आँखो मे आँसू आ ही जाते है….
मैं उसकी आँख के हर खवाब में कुछ रंग भर पाऊँ
मेरे अल्लाह मुझको सिर्फ इतनी हैसियत देना
हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी…
,
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते….
……
……….