इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
ये वक़्त बेवक़्त मेरे ख्यालों में आने की आदत
छोड़ दो तुम….,
कसूर तुम्हारा होता है और लोग मुझे
आवारा कहते है….।
तुझे याद करता हूँ तो हर दर्द से निजात
मिलती है…!!
लोग यू ही हल्ला मचाते है
की दवाईयाँ महँगी हो गयी है…
वाह रे मेरी जिन्दगी……..
तु सच मे सफर~ए~श्मशान है,
जहाँ कन्धा भी अपना और लाश भी अपनी….||
इश्को-आवारगी का अजब फसाना रहा,
दीवाना हमेशा तेरा ही दीवाना रहा..
तू मेरे पास था
में तेरे साथ था
वो था जिंदगी का दिन
की
एक दिन की जिंदगी
युं ना देखा करो…. खुदा के लिये !!
मोहब्बत बढ गयी तो ….मुसीबत हो जायेगी
तुझसे जुदाई के उस एक फ़ैसले के बाद
मैं खुद भी अपने साथ कभी रहा नहीं
दुश्मनी से मिलेगा क्या तुम को
दोस्त बन कर मिला करो हमसे
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले, हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले।