वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ;
ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ;
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ;
बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ |
Tag: दर्द शायरी
माँग रही थी
माँग रही थी कामवाली बाई थोड़े ज्यादा पैसे
बहू ने थोड़ा प्यार दिखाकर अपनी सास को गाँव से बुला लिया…
नरम पत्तों की शाख
हम तो नरम पत्तों की शाख हुआ करते थे….
छीले इतना गए की खंजर हो गए….
उनसे कह दो
उनसे कह दो अपनी मसरूफ़ियत ज़रा कम कर दे,
सुना है बिछड़ने की ये पहली निशानी है!
हर रंग लगा के देखा
हर रंग लगा के देखा चेहरे
पर रंग उदासी का उतरा ही नही..!!
इरादे बाँधता हूँ
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए
मेरी गुमशुदगी की जब
मेरी गुमशुदगी की जब तफ्शीश हुई,
मैं बरामद हुआ उनके ख्यालों में…
शतरंज खेल रही है
शतरंज खेल रही है जिंदगी कुछ इस कदर,
कभी तेरा इश्क़ मात देता है कभी मेरे लफ्ज़
लहरों की ज़िद
लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है ,
दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
कुछ ऐसे खो जाते है
कुछ ऐसे खो जाते है तेरे दीदार में
जैसे बच्चे खो जाते है भरे बाज़ार में|