जख्म छुपाना भी एक हुनर है,
वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जख्म छुपाना भी एक हुनर है,
वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
ज़हर का सवाल नहीं था
वो तो में पी गया
तकलीफ़ लोगों को ये थी
की में जी गया ।
जहर …
मरने के लिए थोडा सा.. !
लेकिन
जिंदा रहने के लिए ……. बहुत
सारा पीना पड़ता है
रात रोने से कब घटी साहब
बर्फ़ धागे से कब कटी साहब
सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी
ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
इसे
सामान-ए-सफ़र मान, ये जुगनू रख ले,
राह में तीरगी होगी, मेरे
आंसू रख ले,
तू जो चाहे तो तेरा झूठ भी बिक सकता है,
शर्त इतनी
है के सोने का तराजू रख ले,
वो कोई जिस्म नही है जिसे छु भी
सके,
अगर नाम ही रखना है तो खुशबु रख ले,
तुझको अनदेखी
बुलंदी में सफ़र करना है,
एहतियातन मेरी हिम्मत, मेरे बाज़ू रख ले,
मेरी ख्वाइश है के आँगन में दीवार न उठे,
मेरे भाई मेरे हिस्से की
ज़मी तू रख ले….
बचपन से
लेकर आज तक सिर्फ अच्छे काम ही
किये…!!!
बस गलती से इश्क
हो गया…!!!
जब भी
देखता हूँ ..
किसी गरीब को हँसते हुए ..
तो यकीन आ जाता है ..
की
खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं होता..
Log
rone ke liye kandha nahi dete,
Marne tak
intezaar karte hai॥
फिर
कहाँ का हिसाब रहता है ,.,
इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
मुंसिफ़
हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा
क्यूँ नहीं देते