कल बड़ा शोर था

कल बड़ा शोर था मयखाने में,
बहस छिड़ी थी जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होठों का ज़िक्र किया,
और बहस खतम हुयी..

निर्धन दिल का है

निर्धन दिल का है धनी, और धनी है दीन।
निर्धन दिल से साफ़ है, और धनी है हीन।।

कोई किसका दास है, कोई किसका दास।
मन फ़क़ीरी खिल्ल उठे, होवे कभी उदास।।

देह काम करता नहीं, बुद्धि न देती साथ।
जब भी मुँह खोलूँ सदा, निकले उलटी बात।।

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,

बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!