हाथ पकड़ कर

हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,तुझपर
ज़रा भी ज़ोर होता मेरा,
ना रोते हम यूँ तेरे लिये, अगर हमारी
ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता !

कोई उम्मीद बर नहीं

कोई उम्मीद बर नहीं आती
नयी करेंसी नज़र नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से कैशियर को भी
लाइन हमारी नज़र नहीं आती

आगे आती थी खाली जेब पर हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

कोशिश करता हूँ

कोशिश करता हूँ लिखने की,तुम्हारी मुस्कान लिखी नहीं जाती..।
मैं तो अदना सा शायर हूँ, ये दास्तान लिखी नहीं जाती..।