मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है कि… दर्द सहने का लुत्फ़ उठाता हु मैं…
Tag: जिंदगी शायरी
उस फूल को
उस फूल को सनद की ज़रूरत ही क्या वसीम जिस फूल की गवाही में ख़ुशबु निकल पड़े।
जिन सवालों के जवाब
जिन सवालों के जवाब नहीं होते वो सवाल, अच्छे सवाल नहीं होते|
रूह में ज़िंदा है
रूह में ज़िंदा है अब तक, मखमली एहसास तेरा आहिस्ता साँसे लेता हूँ, यूँ कहीं बिखर ना जाये…
अपनी मंज़िल पे
अपनी मंज़िल पे पहुंचना और खड़े रहना भी, कितना मुश्किल है बड़े होकर बड़े रहना भी ..!!
किसी की खातिर
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो, लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो|
जी चाहता है
जी चाहता है देखा करू तुझ को बार बार जी भरता नही है मेरा इक बार देख कर
बदला पाने की
बदला पाने की इच्छा रहित जो भलाई की गई है, वह समुद्र की तरह महान है…!!!
शेर शिकार दबे पांव
शेर शिकार दबे पांव बगैर आहट ही करता है भरोसा और धेर्य रखना जरूरी है…!!!
चल ओ रे मांझी
चल ओ रे मांझी तू चल । अपनी राहों को बनाके एक कश्ती हर पल न दे के हवाला की क्या होगा यहाँ कल कुछ अधूरी ख्वाईशो मे भर और बल कभी उन्हें अपना बना,उनके रंगों मे ढल युही हर मोड़ हर शहर हर डगर मुसलसल कर कुछ तू यु पहल चल ओ रे मांझी… Continue reading चल ओ रे मांझी