रुकी-रुकी सी लग रही है नब्ज-ए-हयात,
ये कौन उठ के गया है मेरे सिरहाने से।
Tag: जिंदगी शायरी
कल क्या खूब इश्क़ से
कल क्या खूब इश्क़ से मैने बदला लिया,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे ज़ला दिया..!!
हम तो बिछडे थे
हम तो बिछडे थे तुमको अपना अहसास दिलाने के लिए,
मगर तुमने तो मेरे बिना जीना ही सिख लिया।
काग़ज़ पे तो
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है..
हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
तुमसे ऐसा भी
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
फ़िक्र तो तेरी
फ़िक्र तो तेरी आज भी है..
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
लोगो ने कुछ दिया
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ
ऐ खुदा.. एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला!!
इश्क है या इबादत..
इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता.
निगाहों से भी
निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!
बड रहा है
बड रहा है दर्द गम उस को भूला देने के बाद
याद उसकी ओर आई खत जला देने के बाद!