इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत.
यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को
Tag: गरूर
अब इस से बढ़कर
अब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की..
बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..
देर तक सीने पे
देर तक सीने पे मेरे सर रख कर तुम रोई थी..
मेरे बिन क्या जी लोगी…बस इतना ही पूछा था..
मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी
तुमको तो तुम्हारी ये नजर ले बैठेगी
हमको ये मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी
तू मेरी क्या लगती है
कभी राजी तो कभी मुझसे खफ़ा लगती है ………
जिंदगी तू ही बता , तू मेरी क्या लगती है
ज़िन्दगी में है
ज़िन्दगी में है थोड़ी उंच नीच मगर,
एक मौत है जो यहाँ सबको बराबर बंटी है।
मजबूरी का मजाक
किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों,
ज़िन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है।
न जाने कब
न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला,
वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिये।
मिल सके आसानी से
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है?
ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!
पहले कभी ये यादें
पहले कभी ये यादें ये तनहाई ना थी,
कभी दिल पे मदहोशी छायी ना थी,
जाने क्या असर कर गयीं उसकी बातें,
वरना इस तरह कभी याद किसी की आयी ना थी।