by pyarishayri - June 14, 2017इस दौर ए तरक्की में…इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत. यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को
by pyarishayri - June 14, 2017अब इस से बढ़करअब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की.. बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..
by pyarishayri - June 14, 2017देर तक सीने पेदेर तक सीने पे मेरे सर रख कर तुम रोई थी.. मेरे बिन क्या जी लोगी…बस इतना ही पूछा था..
by pyarishayri - June 14, 2017मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी तुमको तो तुम्हारी ये नजर ले बैठेगी हमको ये मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी
by pyarishayri - June 14, 2017तू मेरी क्या लगती हैकभी राजी तो कभी मुझसे खफ़ा लगती है ……… जिंदगी तू ही बता , तू मेरी क्या लगती है
by pyarishayri - June 11, 2017ज़िन्दगी में हैज़िन्दगी में है थोड़ी उंच नीच मगर, एक मौत है जो यहाँ सबको बराबर बंटी है।
by pyarishayri - June 10, 2017मजबूरी का मजाककिसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों, ज़िन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है।
by pyarishayri - June 10, 2017न जाने कबन जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला, वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिये।
by pyarishayri - June 4, 2017मिल सके आसानी सेमिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!
by pyarishayri - June 4, 2017पहले कभी ये यादेंपहले कभी ये यादें ये तनहाई ना थी, कभी दिल पे मदहोशी छायी ना थी, जाने क्या असर कर गयीं उसकी बातें, वरना इस तरह कभी याद किसी की आयी ना थी।