हर पते पर हैं तू,
फ़िर भी लापता हैं तू..!!
Tag: कविता
आप जीते हो
आप जीते हो मुझमें
इसलिए आप पर मरते हैं हम|
जज़्बात का बीज
जज़्बात का बीज बोया था
कागज़ की ज़मीन पर
कुछ गज़लें फूटी है
लफ़्ज़ मेरे लहरा रहे हैं
कागज़ के खेतों में ..!!
मत जियो उसके लिए
मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो,
जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये…!
फासलों का एहसास
फासलों का एहसास तो तब हुआ…!!
जब मैनें कहा “मैं ठीक हूँ” और ‘उसने’ मान भी लिया…!
अब खुद से
अब खुद से मिलने को मन करता है,
लोगों से सुना है की बहुत बुरे है हम !!
हमारी बर्बादी की वजह
हमारी बर्बादी की वजह तो सुनिए साब बडे मजे की है..
हम अपनी ज़िन्दगी से यूँ खेलते रहे..
जैसे दूसरे की है
कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है
कुछ इस तरह
लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे
सवेरा है फ़िर भी
मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ !
कोशिश तो रोज़ करते हैं
कोशिश तो रोज़ करते हैं के वक़्त से समझौता कर लें….
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कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी उम्मीद मानती ही नहीं…
शौक़ से छोड़ के
शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी।
जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं।