खुशबु ना किसी रंग..ना बाजार से बहले.
दिल एक तेरे ज़िक्र..तेरे दीदार से बहले…
Tag: कविता
गुमराह कब किया है
गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे
चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में|
मेरे लफ्ज़ भी
मेरे लफ्ज़ भी खामोश है,
उसकी ख़ामोशी भी बोलती है..।।
हर किसी के आगे
हर किसी के आगे यूँ खुलता कहाँ है अपना दिल
सामने दीवानों को देखा तो दीवाना खुला
वफ़ाई और बेवफाई
वफ़ाई और बेवफाई, क्रमशः नदियां और समंदर है…
कितनी भी नदियां मिल जाए, समंदर खारा ही रहता है…
आस तो बहुत जगाती है
ओस आस तो बहुत जगाती है ..
मगर प्यास किसकी बुझाती है …
तेरे वादे तु ही जाने
तेरे वादे तु ही जाने. मेरा तो आज भी वही कहना है ,
*जिस दिन साँस टूटेगी उस दिन ही तेरी आस छूटेगी|
देखा है क़यामत को
देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे
नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|
माना कि मोहब्बत
माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे…
पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।
काश कोई ऐसा
काश कोई ऐसा कमाल हो जाये,
.
कमबख्त इश्क़ का, इन्तक़ाल हो जाये||