अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई ,
तो फिर दर्द का हिसाब क्यों रखूं ?
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई ,
तो फिर दर्द का हिसाब क्यों रखूं ?
मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ, कोई देख न ले
चाँद पकड़ने घर से निकलूँ , जुगनू हाथ लगे
लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से,
कि जिसने तुम्हे देखा भी नही,
उसने भी तेरी तारीफ कर दी…!!!
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !!
मोह्ब्बत तो हो चुकी बस,
अब तो सांस बाकी है दोस्त !!
जो दिल के आईने में हो वही हे प्यार के काबिल ,
वरना दिवार के काबिल तो हर तस्वीर होती हे ।
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ ,
पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।
रोने से किसी को पाया नहीं जाता,
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता,
वक्त सबको मिलता है ज़िंदगी बदलने के लिए,
पर ज़िंदगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए !!
विकल्प मिलेंगे बहुत,
मार्ग भटकाने के लिए,
संकल्प एक ही काफ़ी है,
मंज़िल तक जाने के लिए. . .
चलते रहिए…
अच्छा दोस्त जिंदगी को जन्नत बनाता है.
इसलिए मेरी कद्र किया करो
वर्ना फिर कहते फिरोगे बहती हवा सा था वो;
यार हमारा वो; कहाँ गया उसे ढूढों!