उसने मेरे हाथ

उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और फिर हँस कर कहा….

तुझे ज़िन्दगी में सब कुछ मिलेगा एक मेरे सिवा….

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!

जंजीर से डर लगता

उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,

जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..