जिन्दगी की जेब

बार बार रफू करता रहता हूँ
जिन्दगी की जेब…

कम्बखत फिर भी निकल जाते हैं
खुशियों के कुछ लम्हें…

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही
ख़्वाहिशों का है…..

ना तो किसी को गम चाहिए और,
ना ही किसी को कम चाहिए….!!!

बिगाड़ देती हैं 

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं

जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं

सभाल लिया है

मन्जिले मुझे छोड़ गयी रास्तों ने सभाल लिया है..!!
जा जिन्दगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया है.

कुछ तो जीते हैं

कुछ तो जीते हैं जन्नत की तमन्ना लेकर कुछ तमन्नायें जीना सिखा देती है
हम किसके सहारे जीये ज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है।