न चमन है

न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है

मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।

मुझे लत है!!

मुझे लत है!!
मै खुद को खोद खोद कर..
खुद में पीड़ा खोजता हूँ!!
और फिर उस पीड़ा के नशे में..
मै खुद को दफन कर देता हूँ !!

लदी हुई है

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।