इबादतों की तरह

इबादतों की तरह ये मैं काम करता हूं…
मेरा उसूल है पहले सलाम करता हूं…
मुखालफत से मेरी शख्सियत संवरती है…
मैं दुश्मनों का बड़ा ऐहतराम करता हूं…

अंधों को दर्पण

अंधों को दर्पण क्या देना, बहरों को भजन सुनाना क्या.?
जो रक्त पान करते उनको, गंगा का नीर पिलाना क्या.?