सोचता हूँ एक शमशान बना लुँ
दिल के अंदर
मरती है रोज ख्वाईशें
एक एक करके….!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सोचता हूँ एक शमशान बना लुँ
दिल के अंदर
मरती है रोज ख्वाईशें
एक एक करके….!!!!
अजब चिराग हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
थक गया हूँ हवा से कहो बुझाये मुझे|
कसम ले लो जो महफ़िल में तुम्हे दानिश्ता देखा हो
नजर आखिर नजर है बेइरादा उठ गयी होगी ……
चाहते थे जिन्हे उनका दिल बदल गया
समन्दर तो वही गहरा हे पर साहिल बदल गया
कतल ऐसा हुआ किस्तो मे मेरा,
कभी बदला खंजर तो कभी कातिल बदल गया…
उन परिंदो को क़ैद करना मेरी फ़ितरत में नही…
जो मेरे पिंजरे में रह कर दूसरो के साथ उधना पसंद करते है…!!!
ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले
.
उसकी गली के बच्चे आपस में लड़ा दिए मैंने !!
क्या हसीन इत्तेफाक़ था , तेरी गली में आने का.
.
किसी काम से आये थे , किसी काम के ना रहे . ..
झाँक रहे है इधर उधर सब, अपने अंदर झांकें कौन ,
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां, अपने मन में ताके कौन..
आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें,
दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें…
मैं कर तो लूँ मुहब्बत फिर से मगर
याद है दिल लगाने का अंजाम अबतक|