जमाना तो बड़े शोख से सुन रहा था
हमी सो गए दास्ता कहेते कहेते
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जमाना तो बड़े शोख से सुन रहा था
हमी सो गए दास्ता कहेते कहेते
कितनी मुश्किलों से…..फलक पर नजर आता है.
ईद के चाँद का अंदाज़…..बिलकुल तुम्हारे जैसा है….
वो खुद ही ना छुपा शके अपने चेहरे को नकाब मेँ…..,
बेवजह हमारी आँखो पे इल्जाम लगा दिया….!!!
ये जिस्म क्या है
कोई पैरहन उधार का है
यहीं संभाल कर पहना यहीं उतार चले…
क़ैदखाने हैं,
बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं,
उनकी आँखों के…
किसी भी मोड़ पर अगर हम बुरे लगें तो,
दुनिया को बताने से पहले हमें बता देना…
हर एक लफ्ज़ का अंदाज बदल रखा है,
इसलिए हमने तेरा नाम गज़ल रखा है…॥
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!
वो जो दो पल थे,
तेरी और मेरी मुस्कान के बीच।
बस वहीँ कहीं,
इश्क़ ने जगह बना ली
हमारे महफिल में लोग बिन बुलाये आते है
क्यू की यहाँ स्वागत में फूल नहीं दिल बिछाये जाते है