आज तक बहुत भरोसे टूटे,
मगर भरोसे की आदत नहीं टूटी।
Category: हिंदी
बड़े निककमें है
बड़े निककमें है ये इश्क़ वाले कबूतर
दाल की जात का सवाल नहीं करते |
वापस आ रही है
वापस आ रही है, फिर वही सर्दियों की उदास शामें…..
फिर तुम बेसबब ,बेहद याद आओेगे…!!
टूटते अंधेरो से
टूटते अंधेरो से पूछना रौशनी की हकीकत
आफ़ताब बिखर जाते है जब वक़्त पर भूख मिट जाये।
आसाँ कहाँ था
आसाँ कहाँ था कारोबार-ए-इश्क
पर कहिये हुजूर , हमने कब शिकायत की है ?
हम तो मीर-ओ-गालिब के मुरीद हैं
हमेशा आग के दरिया से गुजरने की हिमायत की है !
गुफ़्तुगू देर से
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर
इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ
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उंगलिया डुबी है
उंगलिया डुबी है अपने ही लहू में।
शायद ये कांच के टुकड़े उठाने की सजा है।।
यूँ तो शिकायते
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर
तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये..
छोड दी हमने
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी, आरजू करना,
जिसे मोहब्बत, की कद्र ना हो उसे दुआओ, मे क्या मांगना…
दिल चाहता है
दिल चाहता है कि बहुत करीब से देखूँ तुम्हें
पर नादान आंखे तेरे करीब आते ही बंद हो जाती हैं|