सुनो..
ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे..
कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुनो..
ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे..
कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..
गलतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं,
कि हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है….
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था,जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था….!!!
इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने,
एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो .
ज़माना फूल बिछाता था मेरी राहों में जो वक़्त बदला तो पत्थर है ,अब उठाए हुए
लफ्ज तेरे मिठे ही लगते है.. आंख पढु तब दर्द समझ आता है..
थोड़ा प्यार और भिजवा दो,
हमने फिजूलखर्ची कर ली है….।।
उनकी महफ़िल में हमेशा से यही देखा रिवाज़….
आँख से बीमार करते हैं, तबस्सुम से इलाज़।।
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम,
ख़्वाबों में तुझे और कितना तलाशा जाए !!
तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीँ होती गालिब. , वजह यही है कि आँसू भी नमकीन होते है..