अफसोस ये नही है कि दर्द कितना है
दर्द ये है कि तुमे परवाह नही है..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अफसोस ये नही है कि दर्द कितना है
दर्द ये है कि तुमे परवाह नही है..!!
दरवाजे बडे करवा लिये हैं अब हमने भी अपने आशियाने के क्योंकि……?
कुछ दोस्तो का कद बडा हो गया है चार पैसे कमाने से…!!
मेरी ही ग़ज़लें गुनगुनाती है वो,
जब बंद हो जाती है उससे ..बोल-चाल मेरी…!!!
दुनिया का सबसे फायदेमंद सौदा दादा दादी के पास बैठना है,
चंद लम्हों के बदले में वो आपको बरसो का तजुर्बा देते है…!!!
शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई,
तुझे भुलाने की ज़िद थी,
मगर तेरी आदत सी हो गई…!!!
लोग उसे शराबी समझते रहे,
दो दिन का भूखा गरीब जो फूटपाथ पर पड़ा था…!!!
खिड़की से बाहर जो देखा तो आज फिर बादल बरस रहे थे,
और मैं अन्दर कतरा-कतरा तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था…!!!
वर्षों का सफर खाक हुआ उस दिन….
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जब उसनें पूँछ लिया …
” कहो कैसें आना हुआ ????
मेरे लहजे में जी हुजूर ना था
इसके अलावा मेरा कोई कुसूर ना था
अगर पलभर को भी में बे-जमीर हो जाता
यकीन मानिये कब का वजीर हो जाता” !!!
“जो मम्मी, पापा को स्वर्ग ले जाये वह बेटा होता है”
किंतु
“जो स्वर्ग को घर में ले आये, वह बेटी होती है “