जीवन शतरंज के खेल की तरह है

जीवन शतरंज के खेल की तरह है
और यह खेल आप ईश्वर के साथ खेल रहे है….,
आपकी हर चाल के बाद,
अगली चाल वो चलता है….
आपकी चाल आपकी “पसंद” कहलाती है..,
और..,
उसकी चाल “परिणाम” कहलाती है….

मासूमियत

मासूमियत का इससे पवित्र
प्रमाण कहीं देखा है ????

एक बच्चे को
उसकी माँ मार रही थी

और बचाने के लिये बच्चा
माँ को ही पुकार रहा था…