परिन्दे से किसी ने पूछा,,
“आपको गिरने का डर नही लगता ?
परिन्दे ने क्या गजब का जवाब दिया,
”मै इन्सान नही
जो ज़रा सी ऊँचाई पा कर अकड़ जाऊ।।
Category: हिंदी शायरी
चलनें दो ज़रा आँधियाँ
चलनें दो ज़रा आँधियाँ हकीकत की…
न जाने कौन से झोंकें में अपनों के मुखौटे उड़ जाए…
जीवन शतरंज के खेल की तरह है
जीवन शतरंज के खेल की तरह है
और यह खेल आप ईश्वर के साथ खेल रहे है….,
आपकी हर चाल के बाद,
अगली चाल वो चलता है….
आपकी चाल आपकी “पसंद” कहलाती है..,
और..,
उसकी चाल “परिणाम” कहलाती है….
मासूमियत
मासूमियत का इससे पवित्र
प्रमाण कहीं देखा है ????
एक बच्चे को
उसकी माँ मार रही थी
और बचाने के लिये बच्चा
माँ को ही पुकार रहा था…
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !
भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की
भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की
लेकिन खुशियाँ बेवकूफियों से ही मिलेगी…
आँखे कितनी भी छोटी क्यों ना हो
आँखे कितनी भी छोटी क्यों ना हो ,
ताकत तो उसमे सारे आसमान देखने की होती है ..
खुशियां तो तकदीरो में होनी चाहिए
खुशियां तो तकदीरो में होनी चाहिए
तस्वीरो में तो हर कोई मुस्कुराता है !!
कर्मो से ही पहचान होती है इंसानों की
कर्मो से ही पहचान होती है इंसानों की..
अच्छे कपड़े तो बेजान पुतलो को भी पहनाये जाते है
एक राज की बात बताये किसी को बताना नही
एक राज की बात बताये किसी को बताना नही..
इस दुनिया मे अपने सिवा कुछ भी अपना नही होता..