नहीं दैर-ओ-हरम से काम, हम उल्फ़त के बंदे हैं
वही काबा है अपना, आरज़ू दिल की जहाँ निकले
Category: हिंदी शायरी
आँखो के नीचे
आँखो के नीचे.. ये काले निशान.. सबूत है…
राते..खर्च की है..मैने तुम्हारे लिये…!!
अजीब मुकाम पे ठहरा
जीब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूंढने चले थे,नींद ही गवा बैठे..
इश्क़ वो है
इश्क़ वो है,
जब मैं शाम होने पर मिलने का वादा करूँ,
और वो दिन भर सूरज के होने का अफ़सोस करे…..
चाहतों के सारे
चाहतों के सारे समंदर डूब जाते है इसमें
मान लू कैसे ये आँसू जरा सा पानी है।।
जब भी हम
जब भी हम किसी को कहने अपने गम गए ।
होठों तक आते आते, अल्फाज जम गए ।
जुल्म के सारे
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये…
जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये गये !!
मेरे दुश्मन कहते हे
मेरे दुश्मन कहते हे…..तेरे पास ऐसा क्या हे जिससे
तेरे नाम का चर्चा है…
मेने भी कह दिया की भाई दिल नरम और दिमाग गरम
है….
आसमाँ भर गया
आसमाँ भर गया परिंदो से,
पेड़ कोई हरा गिरा होंगा..!!!
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!!
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!