अगर तुम्हें
खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन
चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”,
उसकी “मखलूक को”, और
“अपनी
औकात” को..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर तुम्हें
खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन
चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”,
उसकी “मखलूक को”, और
“अपनी
औकात” को..!!
मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
…………
मुक़म्मल होने की
ख़्वाहिश में हम…!…
और भी ज़्यादा
अधूरे हो जाते हैं…!!
अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे
भूल जाओ तो
मानूँ मोहब्बत है !
अधूरा ..अनसुना ही रह गया प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन न सके ..कभी मैं कह नही पाया !!
इजहारे मोहब्बत का जुनूँ गौर से देखो,
पहली ही मुलाकात में परवाना मर गया …
हम तो आगाज़े
मोहब्बत मैं ही लूट गये,
और लोग कहते है की अंजाम बुरा होता है !!
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.
ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं
था
तेरे लिये रातो में चाँदनी उगाई थी
क्यारियों में खुशबू की रोशनी लगाई थी
जाने कहाँ टूटी
है डोर मेरे ख्वाब की
ख्वाब से जागेंगे सोचा तो नहीँ था
शामियाने शामो के रोज ही सजाएं
थे
कितनी उम्मीदों के मेहमा बुलाएं थे
आके दरवाज़े से लोट गए हो ऐसे
यूँ भी कोई आयेगा
सोचा तो नहीं था…..
गले से
उन को लगाया तो बुरा मान गये!
यूँ नाम ले के बुलाया तो बुरा मान गये!
ये हक़ उसी ने दिया
था कभी मुज को लेकिन;
जो आज प्यार जताया तो बुरा मान गये!
जो मुद्द्तों से मेरी नींद
चुरा बैठे है;
में उस के ख्वाब में आया तो बुरा मान गये!
जब कभी साथ में होते थे, गुनगुनाते
थे;
आज वो गीत सुनाया तो बुरा मान गये!
हंमेशा खुद ही निगाहों से वार करते थे;
जो तीर
हम ने चलाया तो बुरा मान गये!