हैं तो रिमझिम..
फुहार से…
जनाब की यादें..
मगर मूसलाधार हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हैं तो रिमझिम..
फुहार से…
जनाब की यादें..
मगर मूसलाधार हैं…
याद कर लेना मुझे तुम
कोई भी जब पास न हो
चले आएंगे इक आवाज़ में
भले हम ख़ास न हों..
हम दिलफेक आशिक़ है, हर काम में कमाल कर दे
क्या जरुरत है
जानू को लिपस्टिक लगाने की हम चूम के ही होंठ उसके लाल कर दे
रात तो इसी कशमकश में गुजर जाएगी….
तेरी याद जाएगी तभी शायद नींद आएगी।
सारी महफ़िल लगी हुई थी हुस्न ए यार की तारीफ़ में,
हम चुप बैठे थे क्यूंकि हम तो उनकी सादगी पर मरते है !!
यहाँ से ढूंढ़ कर ले जाये कोई तो मुझ को ,
जहाँ मैं ढूंढने निकला था बेख़ुदी में तुझे…!
कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है
मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…
मुह फेरना क्या तेरा धोखा नही था..!!
मिलना बिछड़ना तो मुकद्दर की बात थी…!!
ये चार दिवारें कमबख्त….
खुद को घर समझ बैठीं हैं ….
ऐसे कोई जाता है क्या….
थोड़े-से तुम मेरे पास रह गए…
थोड़ी सी मैं तुम्हारे संग आ गई..