तुम लौट के आयोगे

तुम लौट के आयोगे हम से मिलने; रोज दिल को बहलाने की आदत हो गई; तेरे वादे पे क्या भरोसा किया;हर शाम तेरा इंतज़ार करने की आदत हो गई।

जख्म तो हम भी

जख्म तो हम भी अपने दिल में तुमसे गहरे रखते हैं
मगर हम जख्मों पे मुस्कुराहटों के पहरे रखते हैं!