कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैं अब …
शायरियों में अब तुम समाते नहीं …
Category: शायरी
तुम इकरार कब करोगे
कुछ बेक़रारीयां और बढ़ा रहा हूं तुम्हारी …
देखना है तुम इकरार कब करोगे..
लिख लिख के मेरा नाम
लिख लिख के मेरा नाम जमीं पर मिटा दिया,
उनका था खेल खाक में हमें मिला दिया|
तुम मुहब्बत को
तुम मुहब्बत को खेल कहते हो
हमने बरबाद ज़िंदगी कर ली|
मोहब्बत आम सा
मोहब्बत आम सा इक वाक़िआ था,
हमारे साथ पेश आने से पहले !!
तुझपे खर्च करने के लिए
तुझपे खर्च करने के लिए बहुत कुछ नहीं है मेरे पास,
थोड़ा वक़्त हैं, थोड़ा मैं हूँ।
एक वक्त था
एक वक्त था जब बातें खत्म नहीं हुआ करती थी,
आज सब खत्म हो गया पर बात नहीं होती|
ना तोल मेरी मोहब्बत
ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल्लगी से
देखकर मेरी चाहत को अक्सर तराजु टुट जाते है |
गुस्सा करने के बदले
गुस्सा करने के बदले
रो लेना अच्छा है
क्योंकि गुस्सा दुसरों को
तकलीफ देता है
जबकि आंसु चुपचाप
आत्मा में से बहकर
ह्रदय को स्वच्छ करते हैं |
ये वक्त भी
ये वक्त भी क्या ग़जब चीज़ है
ख़ुशी के समय कैसे कट जाता है पता भी नहीं चलता
दुःख़ के समय एक एक पल काटना मुश्किल कर देता
कई बार बीते हुए वक्त का घाव इतना गहरा होता है कि वो हर पल परेशान करता है
और कई बार बीते हुए वक्त के कुछ हसीन पल जीने का सहारा बन जाते हैं!!