किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
जीतने हंगामे थे सुखी टहनियों से झड़ गये
पेड़ पर फल भी नहीं आँगन में पत्थर भी नहीं
नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता
है, इतिहास गवाह है की आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े !
प्यार मे ताकत हैं दुनिया को झुकाने की…
वरना क्या जरूरत थी राम को झूठे बेर खाने की…!!!
नहीं दैर-ओ-हरम से काम, हम उल्फ़त के बंदे हैं
वही काबा है अपना, आरज़ू दिल की जहाँ निकले
आँखो के नीचे.. ये काले निशान.. सबूत है…
राते..खर्च की है..मैने तुम्हारे लिये…!!
जीब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूंढने चले थे,नींद ही गवा बैठे..
इश्क़ वो है,
जब मैं शाम होने पर मिलने का वादा करूँ,
और वो दिन भर सूरज के होने का अफ़सोस करे…..
चाहतों के सारे समंदर डूब जाते है इसमें
मान लू कैसे ये आँसू जरा सा पानी है।।
जब भी हम किसी को कहने अपने गम गए ।
होठों तक आते आते, अल्फाज जम गए ।