अब के बाद न जाने
कितने दिन गुमसुम से
ढल जायेंगे
जाने कितने आज सदा को इसी तरह
कल बन जायेंगे …
Category: शायरी
मैंने प्रेम की डोर खोल दी
चलो अब मैंने प्रेम की डोर खोल दी…
जिससे बांधा था तुम्हे…
अगर वो मेरा है…तो मेरे पास लौट आएगा…अगर न लौटा…तो वो मेरा कभी था ही नही…!!!
थोड़ा परेशान हूँ मैं
सिर्फ ख़ुशी में ही आना,
अभी दूर रहो थोड़ा परेशान हूँ मैं…
कोई सुलह करा दे
कोई सुलह करा दे,
बड़ी तलब लगी है, मुस्कुराने कि…
जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं
जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं,
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं…..
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ,
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं
राह संघर्ष की जो चलता है
राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।
रूह में बसा करते थे
रूह में बसा करते थे हम कभी….
अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….
निकाल दिया उसने हमें
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
कल मिले थे
कल मिले थे राह में, बस नज़रो से बात की,
ये वक़्त का तकाज़ा है, वो इशारा नही करते…!!!
दिल में बुराई
दिल में बुराई रखने से बेहतर है
आप अपनी नाराज़गी जाहिर कर दें