दिल बेज़ुबाँ है
शायद इसका यही गुनाह है |
Category: शायरी
तुम रख ही ना सकीं
तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर
मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर |
तुमने पढ़ा होगा
तुमने पढ़ा होगा ग़ालिब, फ़राज़ , मीर को
हमने तो बस पढ़ा है खुद की तक़दीर को
मुझ से गिले हैं
मुझ से गिले हैं ..
मुझ पे भरोसा नहीं उसे …
ये सोच कर मैंने भी तो …
रोका नहीं उसे …. !!
जिंदगी का सच
जिंदगी का सच बस इतना ही है …….
कुछ उलझनें कब्र तक साथ जाती हैं|
अरमाँ न रखना कोई
दिल में अरमाँ न रखना कोई, मुझको जी भर के तड़पाइये
क्या ख़बर है कि कल आपको मुझसा पागल मिले न मिले |
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर,
पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर..
ये हौसले भी
ये हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं
हर तकलीफ को ताक़त बना देते हैं….
सोचा की दाग इश्क़ का
सोचा की दाग इश्क़ का अब धो ही लें जरा..
लौटे जलील और हम बदरंग हो गए…
चाँद अगर पूरा चमके
चाँद अगर पूरा चमके, तो उसके दाग खटकते हैं,
एक न एक बुराई तय है सारे इज़्ज़तदारों में |