यह दिल जिद पे अड़ा है
किसी बच्चे की तरह
या तो इसे सब कुछ
चाईए या कुछ भी नहीं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यह दिल जिद पे अड़ा है
किसी बच्चे की तरह
या तो इसे सब कुछ
चाईए या कुछ भी नहीं|
वक़्त भी कितना अजीब होता है यारोँ,
किसी का कटता नही और
किसी के पास होता नही….
चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये..
मुश्किलें जिन्दगी की अब मजा देने लगी हैं!!!
जाने किस किस को लूटा है इस चोर ने मसीहा बनकर,
के आओ
सब मिलकर इश्क पे मुकदमा कर दें….
देखते ही देखते शहरों की रौनक़ बन गया,
कल यही चेहरा था जो हर आईने पे भार था |
मुझको हर ख़्वाब की ताबीर स डर लगता है
भीगी पलको पे कोई ख़्वाब सजाऊं कैसे|
मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है ,
यह रूठ जायें तो फिर लौटकर नहीं आते |
मकान बन जाते है कुछ हफ़्तों में,
ये पैसा कुछ ऐसा है..
और घर टूट जाते है चंद पलों में,
ये पैसा ही कुछ ऐसा है…!!!
ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता|
अब ना कोई शिकवा,
ना गिला,ना कोई मलाल रहा.
सितम तेरे भी बेहिसाब रहे,
सब्र मेरा भी कमाल रहा!!