आदत मेरी अंधेरो से
डरने की डाल कर…
एक शख्स मेरी
जिंदगी को रात कर गया ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आदत मेरी अंधेरो से
डरने की डाल कर…
एक शख्स मेरी
जिंदगी को रात कर गया ।
एक दिल धड़कता है
तो दुजा समझता है..
इश्क़ मरता कहाँ है यारों….
ये तो दो टुकड़ों में जिया करता है….!!
मुझे लहज़े खफ़ा करते हैं तुम्हारे,
लफ़्जों के तो ख़ैर आदी है हम|
लोग आँसुओं से भी
पढ़ न ले उनका नाम ,
बस इसी कशमकश में
हमने रोना छोड़ दिया..!!
नज़दीकियाँ अब अख़रने लगी थी उन्हें…
कुछ यूँ भी मैंने फ़ासलों से दोस्ती कर ली|
यूँ रुलाया ना कर जिंदगी हर बात पर.,
जरूरी तो नहीं की….
हर किसी की किस्मत में चुप कराने वाला भी हो !!
आप चाहो मेरे हाथों की तलाशी ले लो,
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं !
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया,
कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया..!!
खामोश रहती है वो तितली
जिसके रंग हज़ार है…
और शोर करता रहा वो कौवा,
ना जाने किस गुमान पर…