छोड़ देते है लोग रिश्तें बनाकर….
जो कभी ना छूटे वो साथ हूँ मैं|
Category: शायरी
दूर – दूर भगते फिरें
दूर – दूर भगते फिरें, जो हैं ख़ासम – ख़ास।
सभी व्यंजनों की हुई, गायब आज मिठास।।
दर्द बहुत वफ़ादार होता है
दर्द बहुत वफ़ादार होता है…
काश इसे देने वाले में भी ये बात होती…
क्या पूछता है
क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर,
जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…
आज तक बहुत
आज तक बहुत भरोसे टूटे,
मगर भरोसे की आदत नहीं टूटी।
बड़े निककमें है
बड़े निककमें है ये इश्क़ वाले कबूतर
दाल की जात का सवाल नहीं करते |
वापस आ रही है
वापस आ रही है, फिर वही सर्दियों की उदास शामें…..
फिर तुम बेसबब ,बेहद याद आओेगे…!!
टूटते अंधेरो से
टूटते अंधेरो से पूछना रौशनी की हकीकत
आफ़ताब बिखर जाते है जब वक़्त पर भूख मिट जाये।
आसाँ कहाँ था
आसाँ कहाँ था कारोबार-ए-इश्क
पर कहिये हुजूर , हमने कब शिकायत की है ?
हम तो मीर-ओ-गालिब के मुरीद हैं
हमेशा आग के दरिया से गुजरने की हिमायत की है !
गुफ़्तुगू देर से
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर
इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ
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