आसाँ कहाँ था

आसाँ कहाँ था कारोबार-ए-इश्क
पर कहिये हुजूर , हमने कब शिकायत की है ?

हम तो मीर-ओ-गालिब के मुरीद हैं
हमेशा आग के दरिया से गुजरने की हिमायत की है !