हम तो नरम पत्तों की शाख हुआ करते थे….
छीले इतना गए की खंजर हो गए….
Category: शायरी
उनसे कह दो
उनसे कह दो अपनी मसरूफ़ियत ज़रा कम कर दे,
सुना है बिछड़ने की ये पहली निशानी है!
इश्क़ मात देता है
शतरंज खेल रही है जिंदगी कुछ इस कदर,
कभी तेरा इश्क़ मात देता है कभी मेरे लफ्ज़|
कुछ ऐसे खो जाते है
कुछ ऐसे खो जाते है तेरे दीदार में
जैसे बच्चे खो जाते है भरे बाज़ार में|
एक जैसी ही
एक जैसी ही दिखती थी
माचिस की वो तीलियाँ..
कुछ ने दिये जलाये..
और कुछ ने घर..!
डरते हैं उस पंछी के
डरते हैं उस पंछी के आशियाँ के उजड़ने से
हम भी उजड़े थे…
किसी तूफान में.. यूँ ही..
सोना ही छोड़ दिया
उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा कि
सुबह आंख खुलते ही हमे भूल जाना..
दिल गवारा नहीं
दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद
हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है |
टुटा हुआ दिल है
किसी के पास टुटा हुआ दिल है क्या..
आधा मेरे वाला जोड़के एक नया दिल बनाना था… !!
सोचते रहे ये रातभर
सोचते रहे ये रातभर. हम करवट बदल बदलकर…
.
जानें क्या बात है तुम में दिल कहीं और लगता ही नहीं…